दरअसल मौजूदा समय में सत्तारुढ़ कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी दोनों ही पार्टियां अंर्तकलह से गुजर रही हैं. दोनों पार्टियों में धड़ेबंदी है. गुटबाजी के फेर में फंसी कांग्रेस और बीजेपी को हाल ही में हुये चुनावों में भी पलड़ा लगभग बराबर सा ही रहा है. दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के वोटों में सेंध मार रही है. गत दिनों पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में जहां बीजेपी ने कांग्रेस को मात देकर अपनी जीत का परचम लहराया था. वहीं उसके बाद हुये निकाय चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी का सूपड़ा साफ कर अपना बदला ले लिया. दिलचस्प बात यह है कि गांवों में जहां कांग्रेस की पैठ मजबूत मानी जाती है, वहीं शहरी वोटर का झुकाव बीजेपी की तरफ माना जाता है. लेकिन इन चुनावों में उलटा हुआ. इनमें ग्रामीण क्षेत्रों के चुनाव में बीजेपी ने लीड ली वहीं शहरी क्षेत्र में कांग्रेस आगे रही.
दो-दो खेमों में बंटी हुई हैं पार्टियां
मौजूदा समय में दोनों पार्टियां अंदरुनी तौर पर दो-दो खेमों में बंटी हुई हैं. कांग्रेस गहलोत बनाम पायलट में बंटी है तो बीजेपी सतीश पूनिया बनाम वसुंधरा राजे खेमे में विभाजित है. दोनों पार्टियों में दोनों खेमे अपने-अपने हिसाब से चल रहे हैं. ऐसे हालात में विधानसभा के ये उप चुनाव गहलोत और पूनिया के लिये प्रतिष्ठा के प्रश्न बनने वाले हैं. क्योंकि अगर कांग्रेस की हार होती है तो गहलोत का पार्टी के भीतर का विपक्षी खेमा हावी हो जायेगा. वहीं अगर बीजेपी मात खाती है तो पूनिया के नेतृत्व पर सवाल उठेंगे. इन सीटों से राजसमंद बीजेपी के कब्जे में थी वहीं सहाड़ा और सुजानगढ़ पर कांग्रेस काबिज थी.